बातों-बातों में मन की बातें
मन का आइना है लेखन, शायद यह सच है...
Saturday, February 23, 2008
कभी नन्हें मासूम को गौर से देखा हैनहीं देखा, तो देखना बहुत प्यारे होते हैंउनकी आंखों के सपने सच्चे होते हैं
तुम्हारी तरह धोखे का पानी नहीं होता उनमें
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