कौन से दौर में रहते हो
कौन से दौर में रहते हो
हम पचास साल से यहां हैं,
आज तक, तूकारे से नहीं बोला किसी को
यह जी जी का ही कमाल है
जो हम आज यहां हैं
और आप जी कल के छोकरे
सीधा-सीधा बोलते हो,
कहते हो प्रोफेशनलिज्म का जमाना है
कौनसे प्रोफेशनलिज्म की बात करते हो, बॉस
यहां सब ओर, जीकारे की सरकार है
ऊपर से नीचे तक,
जी जी कह कर ही तो पोजिशन पाई है,
किसी की बातों में प्रोफेशनलिज्म की बू आती हैतुम्हें?
सूंघने की भी हिमाकत मत करना
ऊबासी से लेकर छींक तक में,
मुस्कराहट से लेकर ठहाके तक में,
आसूं से लेकर दुःख के सागर तक में,
जीकारे के किटाणु और वायरस ही मिलेंगे
सुनो, यहां का यही रिवाज है,
जी कहो और भरपूर जीओ,
और हां,
आज के बाद फिर कभी
प्रोफेशलिज्म की बात मत करना,
बस जिन्दा रहना है तो,
आवाज नीची और जी जी कहते रहना
2 comments:
एक आपकी और एक दुष्यंत की
मत कहो आकाश मे कोहरा घना है,
यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना हैं
एक आपकी और एक दुष्यंत की
मत कहो आकाश मे कोहरा घना है,
यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना हैं
बढे चलो
अमित पुरोहित
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