बातों-बातों में मन की बातें
मन का आइना है लेखन, शायद यह सच है...
Thursday, February 14, 2008
चन्द बातें
चन्द बातों मे मैं कई बातें लिखने की हिमाकत कर रहा हूं मुलायाज़ा फरमाइए
...जाने क्या मुझसे ज़माना चाहता है
हर शख्स मुझे आज़माना चाहता है
जिसके पास कुछ नहीं बचा लुटने के लिए
जाने क्यों हर कोई उसे ही लूट जाना चाहता है ......
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