Thursday, September 23, 2010

सेकुलरवादी होने की दौड़ में


श्री राम का डर मूर्त रुप ले चुका था. वो दौर खुद से घृणा का था. क्योंकि भगवान राम तो त्याग के देवता हैं. उन्होंने कभी ख़ून बहाने की बात नहीं की. यहां तक कि उसका खून बहाने से पहले भी उससे बातचीत का प्रस्ताव रखा जो उनकी पत्नी को हर ले गया था.........................
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मैं तो बस इतना कहता हूं काशी और मथुरा में जब मंदिर मस्जिद साथ रह सकते हैं तो अयोध्या में क्यों नहीं...मंदिर भी बने और मस्जिद भी बने. दोनों की दीवारें लगती हों. अज़ान और घंटियां साथ साथ बजें क्योंकि ये दोनों आवाज़ें हम सभी ने एक साथ कहीं न कहीं ज़रुर सुनी होंगी. जिन्होंने नहीं सुनी उनसे मेरा वादा है कि दोनों आवाज़ें एक साथ बड़ी सुंदर लगती हैं...........................
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ये बीबीसी के एक विद्वान पत्रकार सुशील झा के ब्लाग अंश हैं.....जिसमें वे कल्पना करते हैं कि मंदिर के बगल में एक मस्जिद हो, तो भारत अजान और घंटी की आवाज सुनकर उनका दिल बाग-बाग खिल जाएगा. क्या सच में. कई लोगों ने उनके ब्लाग पर टिप्पणी की है। कुछ ने उन्हें जमकर कोसा है. कुछ सेकुलरवादियों ने उनकी तारीफ भी की है. जनाब को एक वक्त खुद से घृणा भी हुई थी. जब गुजरात दंगे हो रहे थे. कई बार तरस आता है कि इन कथित सेकुलर वादियों को ईश्वर सद्बुद्धि प्रदान करें.
मीडिया में, खासकर अंग्रेजी मीडिया में तो पत्रकार लोग खुद को सेकुलर साबित करने के लिए क्या-क्या कल्पना नहीं कर रहे. मंदिर के बगल में मस्जिद के लिए शायद चंदा भी इकट्ठा कर रहे हों। झा साब कहते हैं कि जब काशी, और मथुरा में मंदिर और मस्जिद साथ-साथ रह सकते हैं, तो राम जन्मभूमि अयोध्या में क्यों नहीं. खूब फरमाया झा साब ने। कोई उनसे कभी मूंछे साफकर दाढी बढ़ाने के लिए कहिए. या खतना करवाने के लिए कहिए. चलो इतना भी नहीं तो...उनके गांव में कोई मस्जिद की दीवार के सहारे मंदिर के दीवार बनाने के बारे में भी सोचिए. मगर वे ऐसा क्यों करेंगे. वे तो सेकुलरवादी है ना. उन्हें ऐसा करने की जरूरत नहीं है. कितना अजीब है, सेकुलर कहलवाना है, तो हिंदुओं को गाली देना शुरू कर दीजिए. उनकी भावनाओं का मनचाहे ढंग से मजाक करना शुरू कर दीजिए. भगवान राम को काल्पनिक बताना शुरू कर दीजिए. आपसे बड़ा सेकुलर आपके आसपास नजर नहीं आएगा.
दुनिया जानती हैं, कि भारत देश से बड़ा सहिष्णु देश दुनिया में कहीं नहीं है.कृपया...इन कथित सेकुलरवादियों को करारा जबाव दीजिए. अपनी प्रतिक्रियाओं से, लेखों से, पत्रों से, बोलकर या कहकर.

जय भारत