Sunday, September 19, 2010

अपनी आंखें खोलों....कथित बुद्धिजीवियों

इन दिनों न्यूज चैनलों में एक नया चलन चल रहा है. अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए संतों को बदनाम करने वाली सनसनीखेज- रिपोटॆ- तैयार कर रहे हैं। खास बात यह कि इन सनसनीखेज रिपोटॆ को तैयार करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। बातों को तोड़-मरोड़, तथ्यों के गलत ढंग से पेश कर सकते हैं। सबसे तेज जो होना है। उनका दोष नहीं है। आंखों पर सनसनी का परदा चढ़ा हुआ है। चाहे जैसे भी हो बस सनसनी चाहिए। चाहे किसी भी कीमत पर हो.
आज तक के कथित बुद्धीजीवी संपादक प्रभू चावला या नकवी को शमॆ नहीं आती कि वे देश को क्या परोस रहे हैं। क्या उन्हें अपनी जिम्मेदारियों का एहसास है। अगर उन्हें अपनी जिम्मेदारियों का एहसास नहीं है, तो जो समाज और देश की जिम्मेदारियां उठा रहे हैं, उस दिशा में काम कर रहे, उनकी राह में क्यों अपने विष्ठानुमा चेहरों को बिछाते हैं और उनकी राह में रोड़ा बन रहे हैं। अपनी जेबें भरने के लिए वे इस हद तक गिर सकते हैं....इसमें कोई आश्चयॆ नहीं है।
कभी किसी मौलवी का स्टिंग आपरेशन करने की हिम्मत है, नकवी साहब, प्रभू चावला साहब. एक बात जेहन में रखना, अब इस देश के समाज में सैलाब बढ़ रहा है, यह किसी को माफ नहीं करता. और जब बात समाज के गले से ऊपर तक चली जाती है, तो यह सैलाब सारे तंत्र को बिखरा देता है। इसलिए सावधान हो जाइए। अपनी टाइयां ढीली कर लीजिए.
अपनी नए संवाददाताओं को थोड़ा पढ़ाइए, इस देश का ग्यान करवाइए. यहां की परंपरा-सभ्यता के बारे में थोड़ा बताइए. पत्रकारिता करने और किसी चैनल में या किसी अखबार में दिहाड़ी की मजदूरी मिल जाने से ही आप शहंशाह नहीं हो जाते, यह भी उन्हें समझाइए. उन्हें अपने होने का एहसास करवाइए. इस देश में होने का एहसास करवाइए. भारत देश में होने का एहसास करवाइए. थोड़ा सोचने का वक्त मिले, तो खुद को भी इस देश का बेहतरीन नागरिक होने का एहसास करवाइए. यह आपके लिए ही नहीं, सभी कथित बुद्धिजीवी चैनलों के संपादकों को मेरा विनय पूवॆक आग्रह है।

2 comments:

वीना श्रीवास्तव said...

अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए वाकई में सारे चैनल कई कदम आगे हैं पर जहां तक बाबाओं का सवाल है तो जब तक किसी बाबा की पोल नहीं खुलती, तभी तक वह बाबा है वर्ना ढोंगी है....

http://veenakesur.blogspot.com/

निशांत मिश्र - Nishant Mishra said...

आप परेशान न हों, भाई साहब. अब न्यूज़ चैनलों को कोई गंभीरता से नहीं लेता. लोग देखते हैं और भूल जाते हैं.