Sunday, December 5, 2010

क्या रामविलास पासवान को कश्मीरी पंडितों से मिलने का वक्त मिलेगा??



बिहार चुनावों में कड़ी शिकस्त खाने के बाद लोक जनशक्ति पाटॆी के मुखिया श्री रामविलास पासवान कश्मीर मुद्दे का हल ढूंढ़ने के लिए शनिवार को श्रीनगर पहुंचे और हुरियत नेता मीरवाइज उमर फारुक, गिलानी से बातचीत की. उन्होंने केंद्र सरकार को गिलानी के पांच सूत्री फामॆुले का जबाव देने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव भी डाला है.
मगर अफसोस कभी पासवान साहब दिल्ली और श्री नगर से पहले पड़ने वाले जम्मू के विस्थापित सैकड़ों पंडितों के दुख-ददॆ टटोलने के लिए उनके पास नहीं पहुंचे. उन्हें सिफॆ कश्मीर के सियासी मुस्लिमों की चिंता सताती है या कहें कि अपने मुस्लिम वोटों की फिक्र सताती है. लाखों की तादाद में देश के कई हिस्सों में अपनी मातृभूमि से दूर दर-बदर हालात में रहे रहे कश्मीरी पंडित का कश्मीर का हिस्सा नहीं है. क्या उनके बिना कश्मीर समस्या का हल संभव है. क्या कश्मीर समस्या के हल के लिए कश्मीरी पंडितों को शामिल नहीं किया जाना चाहिए.
रामविलास पासवान जैसे सियासी नेता का कश्मीर जाकर अलगाव वादियों से बात करना, महज मुस्लिम तुषि्टकरण है और कुछ नहीं. वृहद हिंदु समाज से कथित रूप से दलितों को अलग कर उनसे दलित राजनीती करने वाले रामविलास पासवान से कश्मीरी मुस्लिमों और कश्मीरी पंडितों को कोई आशा नहीं करनी चाहिए.

3 comments:

Arun sathi said...

ये वोट बैक नहीम है.. इसलिये तो घडयाली आंसू बहाने वालों को बिहार की जनता ने सबक सिखाय.

Arun sathi said...

ये वोट बैक नहीम है.. इसलिये तो घडयाली आंसू बहाने वालों को बिहार की जनता ने सबक सिखाय.

अनुनाद सिंह said...

रामविलास के उपर लेख लिखकर आप उन्हें जबरजस्ती महत्व दे रहे हैं। वे दो कौड़ी के आदमी हैं। उनसे काश्मीर समस्या सुलझेगी? किसी बल्लभभाई पटेल का इन्तजार करिये।