Wednesday, February 24, 2016

क्यूं सिखलाएं देशप्रेम

क्यूं किसी को देशप्रेम सिखलाएं
उसकी नसों में बह रहा होगा
गर वतन का नमक
वो खुल बोलेगा जयहिंद
तुम कौन?उसे सिखलाने वाले
मस्तिष्क की धमनियों में
सुलगते अलगाव को
ठहरो!
सुलगने दो
जब तक उसकी आंच से
उसका ह्दय नहीं जल उठे
उसके हाथ न कपकपा उठें
आंखों की पुतलियां उल्टी न हो जाए
उसमें चेतना आने दो

वह बोलेगा भारत की जय।

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