Thursday, October 28, 2010

बीबीसी हिंदी सेवा का भारत के प्रति विध्वंसक नजरिया !!


बीबीसी हिंदी की समाचार सेवा भारत के प्रति कैसा नजरिया रखता है, गाहे-बगाहे यह बात सामने आती रहती हैं. मगर पिछले कुछ दिनों से बीबीसी हिंदी जिस तरह की एक तरफा पत्रकारिता कर रहा है, वह बहुत खतरनाक है.

आखिरकार बीबीसी हिंदी का भारत के प्रति सोचने का नजरिया सामने आ ही गया. पिछले हफ्ते बीबीसी ने रेडियो पर बातचीत का विषय रखा था- -क्या कश्मीरी अलगाववादियों को शांतीपूणॆ तरीके से अपनी बात कहने की इजाजत देनी चाहिए. क्या कभी ये भी विषय रखने के बारे में सोचा कि क्या कश्मीरी पंडितों को वापस कश्मीर घाटी में लौटने देना चाहिए. जो ढ़ाई सौ साल पहले इंग्लैंड ने भारत में किया, लगभग वैसा ही बीबीसी हिंदी अब भारत के साथ कर रहा है. अलगाववादी कौनसी बात करना चाहते हैं. आजादी की?

क्या बीबीसी लंदन उन्हें आजादी दिलाएगा. हर बार बीबीसी लंदन के विषय भारत विरोधी होते हैं. इससे बीबीसी हिंदी की मानसिकता समझ में आती है.

छब्बीस अक्टूबर को बीबीसी के मुख्य पृष्ठ पर अरुंधति राय का कमेंट छपा-न्याय की मांग करने पर जेल. इससे पहले भी उनके कश्मीर आजादी के बयान को प्रमुखता से छापा. हम बीबीसी लंदन की मानसिकता को समझ रहे हैं. शायद उन्हें भारत में अलगाव फैलाने में खूब मजा आता है.

लेकिन बीबीसी लंदन वालों, बीबीसी हिंदी वालों यह कान खोल कर सुन लो, यह हथकंडा अब ज्यादा दिन तक नहीं चलने वाला. अरुंधति और जिलानी जैसे देशद्रोहियों और उनके बढ़ावा देने वाली बीबीसी हिंदी को यहां का पत्रकार जगत अच्छी तरह जानता है.
भारत के बुद्धिजीवियों और पत्रकार जगत को बीबीसी को इसका करारा जबाव देना चाहिए. उसकी असलियत को सबके सामने लाने की जरूरत है. देश को तोड़ने वाली बीबीसी हिंदी की पत्रकारिता भारत में पत्रकारिता की जड़े खोदने का काम कर रहा है. उसके समाचारों में भी भारत विरोधी भावनाओं को महसूस किया जा सकता है.

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