Thursday, February 21, 2008

कुछ अश आर

दिल में जब तक तेरी चाहत की भरम जिंदा है
सारे अरमान तेरे सर की कसम जिंदा है
जब मिटने की हमे करती है कोशिश दुनिया
हम को महसूस यह होता है की हम जिंदा हैं
..................................................................
अब ज़बा पर मेरी अंगारा कोई रख दे ज़रा
वर्फ का टुकडा निगलने से तो छले हो गए
बाद मे पूछेंगे सर के ज़ख्म से बहता लहू
पहले ये देखे कि किसके हाथ का पत्थर लगा
.....................................................................
समा गया था मिरे दिल मे जो नज़र कि तरह
ज़बा पर न आ सका हर्फे मोतबर कि तरह
कहीं भी जाऊं, मिरे साथ रहता है
तिरा ख्याल है इक ऐसे हमसफ़र की तरह
.........................................................................
क्षमा करें अच्छे लोगों की अच्छी बातें कहने की आदत है मेरी

No comments: