Wednesday, August 26, 2015

सांस बाकी है जैसे अभी जी उठेगा वो....



सांस बाकी है जैसे अभी जी उठेगा वो
सीने से लग सारे आंसू उडेल देगा मुझमें
वो दर्द जो ज़ज्ब है उसके सीने में
कहां से लाएगा जुबां उन्हें लफ्ज देने
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उसकी जिंदा धड़कनें कंपकंपा रही हैं 
कि यादों के कोनों में खूं जमा है अभी 
कुछ गर्म सांसे बाकी हैं उसकी सांसों में
कि हलक में अटके हैं  आंखों के आंसू अभी
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उसके लबों पे ठहरे हुए वो आखिरी अल्फाज
कि किसी लंबे प्रेमगीत का आखिरी अंतरा है
वो गम जो उसके लफ्ज में छिप गए कहीं
कहां से लाएगा जुबां उनका इजहार करने
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